
बरेली में दंगाइयों का पुलिस पर हमला: पहले निवेदन फिर पथराव और फायरिंग, 10 पुलिसकर्मी घायल, कानून-व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा उजागर
बरेली में शुक्रवार को हुई हिंसक घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। एक सनसनीखेज खुलासे के बाद यह साफ होता दिख रहा है कि यह घटना कोई अचानक भड़की हुई अराजकता नहीं थी बल्कि एक सोची-समझी रणनीति और शक्ति प्रदर्शन का नतीजा थी। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, घटना की शुरुआत उस समय हुई जब पुलिस ने संवेदनशील इलाके में तनाव फैलने की आशंका देखते हुए कुछ लोगों से निवेदन किया कि वे शांतिपूर्वक अपने घर चले जाएं और किसी भी प्रकार की भीड़ न लगाएं। लेकिन पुलिस की यह अपील और विनम्र निवेदन ही दंगाइयों को नागवार गुज़रा। उन्होंने पहले पुलिस बल पर नारेबाजी शुरू की, फिर अचानक से पथराव करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते भीड़ ने पुलिस पर गोलियां भी चलानी शुरू कर दीं। इस हमले में कम से कम 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें कुछ को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जिस समय पुलिस अधिकारी भीड़ को समझाने की कोशिश कर रहे थे, तभी कुछ उपद्रवी तत्वों ने उकसाने वाली बातें करना शुरू कर दीं। थोड़ी ही देर में माहौल तनावपूर्ण हो गया और देखते-देखते स्थिति हाथ से निकल गई। पथराव करने वालों के हाथों में पहले से ही ईंट-पत्थर जमा थे, जो इस बात का संकेत है कि हमला पूर्व नियोजित था। घटना स्थल पर मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि हमलावरों ने पुलिस को खदेड़ने के लिए गोलियां भी चलाईं, जिससे वहां अफरातफरी और भय का माहौल पैदा हो गया। पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की और किसी तरह स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की।
सूत्रों का कहना है कि यह घटना किसी अचानक भड़की भीड़ का परिणाम नहीं बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा थी। हमले के तरीके और तैयारी को देखकर साफ जाहिर होता है कि हमलावर पहले से तय रणनीति के तहत पुलिस के खिलाफ हिंसा करने के लिए तैयार बैठे थे। हमले में जिस प्रकार से पुलिस पर गोलियां चलाई गईं, यह बताता है कि उनका मकसद केवल उपद्रव नहीं बल्कि कानून-व्यवस्था को चुनौती देना था। इस हमले ने न केवल बरेली बल्कि पूरे प्रदेश में दहशत और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
पुलिस प्रशासन का कहना है कि घटना के बाद इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल और पीएसी की तैनाती कर दी गई है। शहर के संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च किया जा रहा है और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा सके। बरेली पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया है कि पुलिस पर हमला किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।
यह घटना पुलिस बल के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है। जिस तरह से पुलिस के शांति-स्थापना के निवेदन को दंगाइयों ने अपनी ताकत दिखाने के अवसर के रूप में लिया, वह यह दर्शाता है कि कुछ असामाजिक तत्व न केवल कानून का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि पुलिस जैसी राज्य की व्यवस्था को भी चुनौती देने की हिम्मत कर रहे हैं। यह किसी भी सभ्य समाज के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दंगाइयों के समूह ने जिस तरह से पुलिस पर हमला किया, वह इलाके की शांति को भंग करने और दहशत फैलाने की साजिश का हिस्सा था। कई नागरिकों ने बताया कि जिस समय पुलिस ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की, तभी कुछ लोग उकसावे वाली बातें कर रहे थे और पुलिस की बात मानने के बजाय भीड़ को भड़काने का काम कर रहे थे। इस वजह से हालात बिगड़ते चले गए।
हमले में घायल हुए पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी कर रहे थे, तब अचानक भीड़ ने पहले पत्थर चलाने शुरू किए और फिर गोलियां चलाकर हालात को और गंभीर बना दिया। उनका कहना है कि यह हमला अचानक भड़की भीड़ का नहीं बल्कि सोची-समझी चाल का हिस्सा था, जिसमें पुलिस को नुकसान पहुंचाने और प्रशासन की ताकत को चुनौती देने की योजना थी।
बरेली की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को कितनी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि कुछ असामाजिक तत्व समाज में दहशत और अराजकता फैलाने के लिए हिंसा का सहारा लेने से भी पीछे नहीं हटते। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना और उन्हें जल्द से जल्द कानून के शिकंजे में लाना बेहद जरूरी है ताकि समाज में कानून का राज कायम रहे और नागरिक सुरक्षित महसूस करें।
प्रदेश सरकार ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी है और इलाके में शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वालों पर भी नजर रखी जा रही है ताकि स्थिति को और न बिगाड़ा जा सके।
यह घटना एक चेतावनी है कि कानून और शांति के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए। पुलिस पर हमला सिर्फ कानून-व्यवस्था पर ही नहीं बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी हमला है। ऐसे लोगों को कड़ी सजा दिलाना ही समाज और प्रशासन दोनों के लिए जरूरी है।
✍️ रिपोर्ट : एलिक सिंह
संपादक – समृद्ध भारत समाचार पत्र
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